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7 Jul 2017 · 1 min read

इस तरफ आएगा कौन.....212 212 212

सब के आगे उदासी न रख
तलब को और प्यासी न रख

है मुझे रात भर जागना
जुगनुओं की तलाशी न रख

इस तरफ आएगा कौन अब
मुल्तवी और फांसी न रख

इश्क मुश्क छुप जाए भला
कोशिश खारिश-खांसी न रख

इत्र शीशी हो सिरहाने में
खुशबु अपनी दवा सी न रख

सुशील यादव
3.6.17

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