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2 Jul 2017 · 1 min read

गर्मी

चारो ओर सिर्फ बदसूरती छाई
आग के गोले सी तपन लाई
धूल ,धूप,धुंआ धुंआ सा है
धरती गर्मी में जलती चिंगारी है

हर जगह सिर्फ बेरंगत है
आपने ही रंग से खिन्नता है
कही काली तो कही लाल
पर फिर भी सबमे कुरूपता है

साये साये चलती लू का प्रहार है
दिनकर का बड़ा क्रुद्ध मिजाज है
पशु पक्षी मानव सब बेहाल है
गर्मी का भू पर अतिचाल है

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