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1 Jul 2017 · 1 min read

मुक्तक

चारों ओर नव तृणों की बहार आ गई
पर्यवरण में हर जगह मुस्कान छा गई
धरती पर फसलों की सौगात आ गई
हर तरफ हरियाली की बहार आया गई
शायद ए बैरंग बूंद तेरा ही जादू है
जिससे यहाँ रंगों की बरसात आ गई

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