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21 Jun 2017 · 1 min read

कविता: ??जब हम बातें करते हों??

दिल के नरम लोगों का गुस्से में आना ठीक नहीं।।
जब हम बातें करते हों तो तेवर दिखाना ठीक नहीं।।

तुम चाहते हो हमें कितना अपने दिल से पूछ लो।
जब हम बातें करते हों तो नखरे दिखाना ठीक नहीं।।

मेरी बातें चाहे तुम्हे अच्छी न लगती हों ज़रा भी।
जब हम बातें करते हों तो नाक चढ़ाना ठीक नहीं।।

प्रेमभरी तेरी बातें अदाएं जन्नत-सा शकूं देती हैं मुझे।
जब हम बातें करते हों तो खामोशी बनाना ठीक नहीं।।

हिदायत देते हैं हम फूलों-सी मुस्क़राया करो तुम।
जब हम बातें करते हों तो शूल चुभाना ठीक नहीं।।

सच्ची मोहब्बत त्याग,विश्वास माँगती है मेरे सनम।
जब हम बातें करते हों तो राज छिपाना ठीक नहीं।।

प्यार का सफ़र पलभर का नहीं सदियों का सफ़र है।
जब हम बातें करते हों तो रूठ जाना ठीक नहीं।।

हम सौज़ान से क़ुर्बान तुमपर दिल में पनाह दीजिए।
जब हम बातें करते हों तो भूलें गिनाना ठीक नहीं।।

तेरे लिए रीति-रिवाज़ सब छोड़ दिए मैंने एकपल में।
जब हम बातें करते हों तो तोहमत लगाना ठीक नहीं।

तारे ग़वाह हैं अपने प्यार के चाँद भी साक्षी है ये।
जब हम बातें करते हों तो आँख दिखाना ठीक नहीं।।

कूचे में चलते हुए अपने आप मुस्क़राती हो तुम।
जब हम बातें करते हों तो इतना शर्माना ठीक नहीं।।

दिल के हो अच्छे”प्रीतम”हम ये सब जानते हैं,देखो!
जब हम बातें करते हों तो गर्मी खाना ठीक नहीं।।
…………राधेश्याम बंगालिया”प्रीतम”
??????????????

Language: Hindi
376 Views
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