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21 Jun 2017 · 1 min read

कविता : ??तन्हा बेचैन दिल??

तूने मुडके देखा मुझे इस कदर।
तीरे-नजर घायल कर गई जिगर।।

सपने सुहाने सजने लगे मन में।
तेरी तस्वीर आँखों में गई उतर।।

दिन में चैन न रातों में हैं नींदे।
दिल को सताए है सूरते-मंजर।।

हरपल देखूँ मैं झरोखे से कूचा।
चाहूँ मैं तू पल में आए नजर।।

कदमे-आहट सुन-सुन मैं चौंकूँ।
मेरे दिल में रहती तेरी फिकर।।

यादें तेरी रह-रह के सताएं हैं।
बहते आँखों से हैं दिले-तस्व्वुर।।

बरसातें जलाती सावन की अब।
तन्हा कटता नहीं जीवन सफर।।

आ जाओ बदली बन बरसो तुम।
झूम उठे प्रेम बूँदों से दिले-सागर।।

सुर सजें मोहब्बत के मन खिलेंं।
आसान हो जाए जीवन की डगर।।

दिल लेकर”प्रीतम”न सता इतना।
देख मेरी बेचैनियाँ रोते हैं पत्थर।।
….राधेयश्याम बंगालिया”प्रीतम”
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