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16 Jun 2017 · 1 min read

दोस्ती और प्यार

दोस्ती और प्यार है दोनों में गूढता अपार……

न बदलें हैं न बदलेंगे​ दोस्ती और प्यार के मायने।
इनके समय बेहतर परस्पर सरोकार के मायने।
अगर दोस्ती दामन है तो प्यार है उसकी चोली।
पहलू दोनों एक सिक्के के, दोनों ही हमजोली।

दोनों ही ढाई आखर हैं,
अनुराग की पोखर।
दोनों ही का आसमां बेछोर है,
इक पतंग दूजा डोर है।
दोनों सामंजस्य की हिलोर हैं।
दो मुख की ये एक कोर हैं।
एक जीवंत किरण सूरज की
तो दूजा स्वर्णिम विभोर है।

निश्छल प्यार की दवा दोस्ती,
रंगती जो विश्वास के रंग में,
वही शीतल हवा है दोस्ती।
रूह जिसे महसूस करे,
है सुंदर अहसास दोस्ती।
अपने ग़म भूलकर, प्यार का आभास दोस्ती।
एक संतुलन, एक सहारा,फैलाव और जुड़ाव दोस्ती।
शक्ति, खुशी, संबंध और विश्वास और अधिकार दोस्ती
बीच मझधार से जो तारदे, है ऐसी पतवार दोस्ती।
प्यार है आत्मा का दर्पण, स्वयं समर्पण है दोस्ती।
है अपनी ही प्रतिकृति दोस्ती
स्वर्गिक आनंद अनुभूति दोस्ती।
सबसे सरल इबादत दोस्ती,
मजबूत नींव और चाहत दोस्ती।
प्यार की खातिर है जहां से करती
सरेआम बगावत दोस्ती।
है कान्हा की इनायत और अदावत दोस्ती।

नीलम शर्मा

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