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14 Jun 2017 · 1 min read

क्षणिका

“क्षणिका”
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पहले भी अजमाया था
अब भी अाज़मा ले
वैसे का वैसा हूँ
जैसा पहले था
अब भी वैसा हूँ
क्या करूँ
आदत से मज़बूर हूँ ।
बदले तुम हो तो
मैं क्या करूँ ?
——————–
राजेश”ललित”शर्मा
१४-६-२०१७

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