Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
13 Jun 2017 · 1 min read

कविता

शाम जब उतरती है
******************

शाम जब उतरती है आँगन में
मन कहीं भागता है पीछे
लौटते पक्षियों को देखकर
आकाश में
मन रिहाई माँगता है
मन रिहा हो भी जाए
पर तन….?
पिंजरे में समा गया है ……

इला सिंह
***********

Loading...