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2 Jun 2017 · 1 min read

क्यों दर्द अकेले ढोते हैं

मदहोशी में बिखरकर चांदनी खिलती है
जब कोई रोशनी शम्मा से जलती है

जब हकीकत सामने चलती है
जब नियती से शामें ढलती है

जब जान किसी बिन मचलती है
जब उस पगली से दूरी खलती है

???????❣

क्यों आंखें खुलीं यादों में खोये होते हैं
जमाने से खुदको छुपा तन्हाइयों में रोते हैं

एक पल जीना था मुश्किल फिरभी वो चैन से सोते हैं
जब मुहब्बत की थी दोनों ने क्यों दर्द अकेले ढोते हैं

Language: Hindi
1 Like · 452 Views
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