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24 May 2017 · 1 min read

==* न कर सकी तू वफ़ा *==

न कर सकी तू वफ़ा ऐ सनम
मुझे तुझसे कोई गिला भी नहीं
न कर सकी तू वफ़ा ……………

चाह क्या थी तेरी ऐ हमदम
कभी जुस्तजू तो की होती
हम तो थे राहो में खड़े हरदम
कोशिशें ढूंढने की की होती

न कर सकी तू वफ़ा ……………

ख्वाहिशें जो भी थी मेरे दिलमें
जो भी थी कहती थी मेरी आँखे
जी रही थी लेकर दर्द सिनेमें
मुझसे क्यों कह न सकीं तेरी आँखे

न कर सकी तू वफ़ा ……………

अब जो तू सामने नहीं है सनम
दिल यु मायूस हो जाता है
चाह ये है तुम मिलो अगले जनम
बिन तुम्हारे जिया न जाता है

न कर सकी तू वफ़ा ऐ सनम
मुझे तुझसे कोई गिला भी नहीं
न कर सकी तू वफ़ा ……………
—————//**–
शशिकांत शांडिले, नागपुर
भ्रमणध्वनी – ९९७५९९५४५०

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