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21 May 2017 · 1 min read

कामयाबी आपके चूमे क़दम

उरूज
19/5
ये बुलंदी उनके —ही चूमे कदम।
कौम की जो राह में उठते क़दम
??
जब सनम ने है –पिलाई आंख से
फिर सुरूरे इश्क़ –में बहके क़दम
??
है ठहरती ——जिंदगी ये उस घड़ी
जब सफर में हार कर थकते क़दम
??
जश्ने शादी यार की जब आई तो
डीजे की धुन पर हैं ये थिरके क़दम
??
रिश्त-ए-इंसां ———-न टूटे इस लिए
ये निभाने को—– वफ़ा चलते क़दम
??
है दुआ दिल से ———मेरी ये बाखुदा
कामयाबी आपके ———–चूमे क़दम
??
खार पांवों मे —–चुभे न. अब कभी
आ हथेली पर ——–मिरे रख ले क़दम
??
गिरा गया खुद की —-नज़र से आदमी
अब फराज़ों पर ——-नही उठते क़दम
??
छोड़ कर वालिद ——गये “प्रीतम” उसी
नक्श-ए-पां पर ———मिरे चलते क़दम
??
प्रीतम राठौर
श्रावस्ती (उ०प्र०)

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