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21 May 2017 · 1 min read

जुबां ये झूम कर बोली कि चारो धाम तो आया

बड़ा ही दिल नशी दिलकश हसीं अय्याम तो आया
जनम दिन है ये कोमल का चलो पैग़ाम तो आया
??
बड़े अरमान से भेजा दुआओं से भरा तोहफा
कुबूलो तुम इसे दिलबर तुम्हारे नाम तो आया
??
रुलाया मुफलिसी ने आज तक हमको मेरे यारों
मनायें बाद मुद्दत के खुशी वो शाम तो आया
??
छिड़ी जब जंग आंखों में हार दिल को गया था मैं
मगर दीवानगी पे अब उन्हें इक़राम तो आया
??

उसे ठुकराया लोगों ने मिला पैग़ाम जब ये तो
सुकूं दिल को नहीं आया मगर आराम तो आया
??
बरस पहले जो खाई थी कसम संग संग रहने की
पता है दिल में दिलबर के वो अब इतमाम तोआया
??
अचानक मां की आमद पे हुआ खुश दिल मेरा “प्रीतम”
जुबां ये झूम कर बोली कि चारो धाम तो आया

प्रीतम राठौर भिनगई
श्रावस्ती (उ०प्र०)

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