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15 May 2017 · 1 min read

लाश

लाश का चेहरा पुरसुकून था ।
उस पर गज़ब का नूर था ।
लगता था नाच उठेगा ।
मरने में क्या कोई लुत्फ था ?
दरअसल उस गरीब को
ज़िंदगी ने हर पर ठुकराया था ।
मौत ने उसे गले लगाया था ।

Language: Hindi
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