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12 May 2017 · 1 min read

? खोल गिरह की गांठ जरा.....?

??? ग़ज़ल ???
?????????

खोल गिरह की गांठ जरा,
अपने दिल में झांक जरा।

दुनियां का दस्तूर न देख,
गम को खूंटी टांक जरा।

अहम किसी से ना टकरा,
बचा के चल तू नाक जरा।

रिश्तों को टकरा ना खुद,
राय ना दे बेबाक जरा।

वक्त को थोड़ा वक्त भी दे,
मौका ही मत ताक जरा।

तेज” आंधियां जब आयें,
मूंद ले अपनी आंख जरा।

दिल को साबुत रहने दे,
कर ना तू दो फांक जरा।

?????????
?तेजवीर सिंह तेज

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