Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
10 May 2017 · 1 min read

प्रेम गरल का प्याला.....

?? गीत ??
??????????

जान-बूझकर पी बैठे हम प्रेम-गरल का प्याला जी।
पत्थर से टकराके दिल को पत्थर ही कर डाला जी।
मन्दिर मस्जिद गिरजा देखा उसमें कभी शिवाला जी।
प्रीत भरे दिन बीत गए अब नैना उगलें हाला जी।
जान-बूझकर पी…..

??????????

इश्क़ मुहब्बत प्यार की बातें केवल हमको भाती थीं।
शोख़ हवाएं भी तब उसके प्रेम सन्देशे लाती थीं।
सागर की लहरें भी उसके सुंदर गीत सुनाती थीं।
मनमोहन सी छवि मोहिनी नैनन घनी सुहाती थीं।
ज्यों साकी के इंतजार में रहती हो मधुशाला जी।
जान-बूझकर पी…..

??????????

चाँद-चकोरी सी जोड़ी को देख जमाना जलता था।
दो जोड़ी नयनों के उर में बीज प्रेम का पलता था।
पल भर का भी छोह हृदय को मानो वर्षों सलता था।
झंझावाती-तूफानों में भी दीप प्रीत का जलता था।
नैनन नेह-सनेह नैन सों नयना नयन उजाला जी।
जान-बूझकर पी…..

??????????

मोहक मधुरिम मधुर मुरलिया मन-मंदिर में बजती थी।
कान्ह दरश को पलक-पांवड़े बिछा गुजरिया सजती थी।
कृष्ण-करुण कौमार्य कली सी कोर-कोर सों लजती थी।
राधे जैसी भई दिवानी श्यामा-श्यामा भजती थी।
त्रेता युग की जनकसुता को भाई ज्यों मृगछाला जी।
जान-बूझकर पी…..

??????????

पावन-प्रीत पुनीत प्रेम-पथ प्रीतम प्यारी हो न सकी।
बिछड़ गयी नैनों की जोड़ी मैं अंधियारी धो न सकी।
सूख गए नयनों के आंसू चाह रही पर रो न सकी।
हृदयतल में दीर्घकाल प्रीतम की छवि संजो न सकी।
तेज विरह की पीर जलाये मनु बाती को ज्वाला जी।
जान बूझकर पी बैठे हम प्रेम गरल का प्याला जी।
पत्थर से टकरा के दिल को पत्थर ही कर डाला जी।

??????????
?तेज 10/5/17✍

Loading...