Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
10 May 2017 · 1 min read

ज्यों ही किया निकाह

मैने उनकी याद से, ज्यों ही किया निकाह !
कविता करने की बढ़ी,स्वत: और भी चाह !!

मैने खुद ही तोड दी,. रिश्तों की वह डोर!
करती थी दिल से मुझे, प्राय: जो कमजोर!!

सद्कर्मों से ही मिले,.यश वैभव सम्मान!
सोलह आने सत्य यह,बात समझ नादान! !

रहा भूख औ प्यास का,मुझे कहाँ फिर ध्यान!
आया हाथों में जहाँ, ..ग़ालिब का दीवान!!
रमेश शर्मा.

Loading...