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9 May 2017 · 1 min read

खुदा से मिलन के लिए.. ..

फिजाएँ भी रोक रहीं
हवाओं के जरिये!
मत जा तू
सूना रह जायेगा
ये शहर!
आसमान भी रोया
लिपट कर धरती
की बाँहों में!
रोक ले उसे बस!
सूना रह जायेगा
ये शहर!
मन में हजारों संवेग
पल रहे थे मिलन के!
हवा, पानी सब पीछे
छोड़ आये खुदा से
मिलने!
ह्रदय की नाद तन्त्रियाँ
ध्वनित होने लगी!
सुबह की रौशनी के
लिए!
ना रोक पाये ये झंझावात
मुझे! लाख जिद की
आसमाँ ने रोकने की!
बहाता रह गया अश्क
मुँह छिपाकर धरती
की बाँहों में!
हम चल दिये खुदा
के मिलन के लिए!!!
.
शालिनी साहू
ऊँचाहार, रायबरेली(उ0प्र0)

Language: Hindi
340 Views
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