Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
7 May 2017 · 1 min read

अजनबी सी हवा की लहर हो गयी।

गीतिका
अजनबी -सी हवा की लहर हो गई।
कुछ खफा आज शामो-सहर हो गई।

एक वो बेखबर है मेरी प्रीत से।
और पूरे जहां को खबर हो गई।

वो सुनते नहीं है मेरे दिल की लय।
जाने कैसी उनकी नजर हो गई।

उनमें बसी है सुकूं रात सा।
और दिल में हमारे गदर हो गई।

हम उल्फत में काफी बेचैन हैं अब।
ये चर्चाऐं गावों – शहर हो गई।
इषुप्रिय शर्मा’अंकित’

Loading...