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4 May 2017 · 1 min read

रमेशराज के 2 मुक्तक

मिलता नहीं पेट-भर भोजन अब आधी आबादी को
नयी गुलामी जकड़ रही है जन-जन की आज़ादी को |
भारत की जनता की चीख़ें इन्हें सुनायी कम देतीं
हिन्दुस्तानी चैनल सारे ढूंढ रहे बगदादी को ||
+रमेशराज
———————————-
बागों से बौर छीन लेगा
खुशियों का दौर छीन लेगा |
हम यूं ही गर खामोश रहे
वो मुँह के कौर छीन लेगा ||
+रमेशराज

Language: Hindi
373 Views
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