Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Apr 2017 · 1 min read

रमेशराज के दो लोकगीत –

लोकगीत-1.
“ डिजीटल कर ले लांगुरिया “
——————————————————
दाल डिजीटल हो गयी, उसके सँग में प्याज
चकाचौंध में आ गये फल सब्जी भी आज,
मुख पै आये दुःख के भाव डिजीटल कर ले लांगुरिया ||

इस सिस्टम में चीखना तेरा है बेकार
पी ले तू कड़वी दवा यही एक उपचार ,
अपने मन के सारे घाव डिजीटल कर ले लांगुरिया ||

कपड़ों में चिंदी लगा , बिना तेल रख बाल
रूखी सूखी खाय घट ठंडा पानी डाल ,
टूटी फूटी घर की नाव डिजीटल कर ले लांगुरिया ||

अच्छे दिन की आस में मस्त मस्त तू डोल
पूंजीवादी सोच सँग ईलू ईलू बोल ,
सिसकते जीवन का उलझाव डिजीटल कर ले लांगुरिया ||
+रमेशराज

लोकगीत-2.
“टम्पू बारौ एक रुपइया ज्यादा लैग्यो लांगुरिया”
———————————————————–
बा रुपया ते लाबती नीले-पीले रंग
जमि कैं होली खेलती सैंया जी के संग,
टम्पू बारौ एक रुपइया ज्यादा लैग्यौ लांगुरिया।
एक रुपइया के बिना बिगरे कैसे काम
गुदवा लेती बांह पै सैंयाजी कौ नाम,
टम्पू बारौ एक रुपइया ज्यादा लैग्यौ लांगुरिया।

टम्पू बारे की भयी नीयत खूब खराब
बा रुपया ते रात कूं पीवै मुंओ शराब,
टम्पू बारौ एक रुपइया ज्यादा लैग्यौ लांगुरिया।

रपट लिखाने मैं गयी बौल्यौ थानेदार
लै-लै दस कौ नोट तू करि लै मोते प्यार,
टम्पू बारौ एक रुपइया ज्यादा लैग्यौ लांगुरिया।

लांगुर तेरे देश में लूटें बेईमान
जानि-बूझि कैं मति बनै नेता-सौ अन्जान
टम्पू बारौ एक रुपइया ज्यादा लैग्यौ लांगुरिया।
तबहि चढ़ाऊँ नारियल तबहि चढ़ाऊँ फूल
काटै गर्दन दुष्ट की मैया कौ तिरशूल
टम्पू बारौ एक रुपइया ज्यादा लैग्यौ लांगुरिया।
-रमेशराज
————————————
+रमेशराज, 15/109 ईसानगर,अलीगढ़

Language: Hindi
Tag: गीत
539 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

कभी इस तरह भी
कभी इस तरह भी
Chitra Bisht
आइना कब बनाओगी मुझको ?
आइना कब बनाओगी मुझको ?
Keshav kishor Kumar
चाँद तो चाँद रहेगा
चाँद तो चाँद रहेगा
shabina. Naaz
मृगतृष्णा
मृगतृष्णा
मनोज कर्ण
सच
सच
Santosh Khanna (world record holder)
मैं तुम में अपनी दुनियां ढूँढने लगी
मैं तुम में अपनी दुनियां ढूँढने लगी
Ritu Verma
बचपन
बचपन
नूरफातिमा खातून नूरी
कभी अपने ही सपने ख़रीद लेना सौदागर बनके,
कभी अपने ही सपने ख़रीद लेना सौदागर बनके,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सम्मान
सम्मान
Sunil Maheshwari
*नए दौर में*
*नए दौर में*
Shashank Mishra
3217.*पूर्णिका*
3217.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सहयोगी भाव से बढ़ता रहा समाज
सहयोगी भाव से बढ़ता रहा समाज
Sudhir srivastava
हम दुनिया के सभी मच्छरों को तो नहीं मार सकते है तो क्यों न ह
हम दुनिया के सभी मच्छरों को तो नहीं मार सकते है तो क्यों न ह
Rj Anand Prajapati
बरहम बाबा गीत बनाम बराहमन गीत।
बरहम बाबा गीत बनाम बराहमन गीत।
Acharya Rama Nand Mandal
क्या फर्क पड़ेगा
क्या फर्क पड़ेगा
Dr. Man Mohan Krishna
विकल्प///स्वतन्त्र कुमार
विकल्प///स्वतन्त्र कुमार
स्वतंत्र ललिता मन्नू
दुःख का भी अधिकार होता है
दुःख का भी अधिकार होता है
meenu yadav
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"अजनबी बन कर"
Lohit Tamta
एक अविरल प्रेम कहानी थी जब अग्नि कुंड में कूद पड़ी मां भवानी थी
एक अविरल प्रेम कहानी थी जब अग्नि कुंड में कूद पड़ी मां भवानी थी
Karan Bansiboreliya
कोई वजह अब बना लो सनम तुम... फिर से मेरे करीब आ जाने को..!!
कोई वजह अब बना लो सनम तुम... फिर से मेरे करीब आ जाने को..!!
Ravi Betulwala
ज्ञान दायिनी
ज्ञान दायिनी
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
.
.
*प्रणय प्रभात*
आओ कष्ट मिटा देंगे सारे बाबा।
आओ कष्ट मिटा देंगे सारे बाबा।
सत्य कुमार प्रेमी
वक्त की पालकी में  …..
वक्त की पालकी में …..
sushil sarna
किसी को गिराया न ख़ुद को उछाला,
किसी को गिराया न ख़ुद को उछाला,
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
नव वर्ष की शुभकामनाएं
नव वर्ष की शुभकामनाएं
पूर्वार्थ
जलाना आग में ना ही मुझे मिट्टी में दफनाना
जलाना आग में ना ही मुझे मिट्टी में दफनाना
VINOD CHAUHAN
चमन
चमन
Bodhisatva kastooriya
शिव अवतारी केसरी नंदन -भजन -रचनाकार :अरविंद भारद्वाज
शिव अवतारी केसरी नंदन -भजन -रचनाकार :अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज ARVIND BHARDWAJ
Loading...