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29 Apr 2017 · 1 min read

??◆वो लोग◆??

मेरी शख़्सियत की शिनाख़्त करते हैं जो लोग।
मेरी ज़िन्दगी की हिफ़ाज़त करते हैं वो लोग।।

छिप-छिप देखते हैं मेरे चालो-चलन को दोस्त।
मेरे हयात मेंं एक एहतियात भरते हैं वो लोग।।

मेरी अच्छाई नहीं बुराई तलासने का ज़ुनून है।
मेरे दिल में बन जलजात खिलते हैं वो लोग।।

सुना है गुलों की हिफ़ाज़त काँटे ही करते हैं।
फ़िजूल मान खुद से बग़ावत करते हैं वो लोग।।

देखते,मुस्क़राते,शरमाकर नज़रें जो झुकाते हैं।
तो समझना तुमसे मोहब्बत करते हैं वो लोग।।

मुसीबत आने पर चार पैसे पल्लू में हों जिनके।
दावा है मेरा मेहनत मसक्त करते हैं वो लोग।।

शेखियां बघारने से सुनिए बहादुर नहीं बनते हैं।
बहादुर वे हैं निर्भय हालात बदलते हैं जो लोग।।

लीक बदल चलने वाले महान होते हैं दुनिया में।
आम आदमी हैं वो दिन-रात टलते हैं जो लोग।।

नफरत की नहीं मैं मोहब्बत की पैरवी करूँगा।
जो मुझे बुरा कहें वाहियात जलते हैं वो लोग।।

एक “प्रीतम”तेरी दीवानगी ही मेरे दिल में रहे।
सारे जमाने के ताने सौग़ात लगते हैं वो लोग।।
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राधेयश्याम….बंगालिया….प्रीतम….कृत

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