Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Apr 2017 · 2 min read

डिअर डेयरी से मेरी बात

dear diary
में तुमको यह बताना चाहता की तुमको मेने बनाया ताकि में तुमसे बात कर सकु ! जो जी चाहे लिख सकता हु ! तुम मेरे best friend की तरह हो !और तुमको मेने नाम दिया” डिअर डायरी” !
डिअर डायरी में तुममे कभी किसी की ख़ुशी, तो कभी गम लिखूंगा कभी किसी कहानी का किस्सा लिखूंगा !

ये किस्सा मेरा भी सकता हे या किसी और का भी !कभी गज़ल कभी कविता लिखूंगा ! और हा कभी कुछ लिखते समय अगर मेरे आशु निकल क्र तुम्हारे बदन पर गिर जाये तो उसे तुम छुपा लेना किसी को कहना मत ! ये बात अपने तक ही रखना ! तुम बस मेरी इन कहानियो किस्सों को छुपकर रखना ! वरना ये किसी के हाथ लग गयी तो ! या चोरी हो गयी तो में किसी से अपनी बात कहूँगा ! तुम मेरे सबसे अछे मित्र हो .क्यों की तुम सिर्फ मेरी सुनते हो कभी अपनी कुछ नहीं सुनते ! मेरी भीगी आंखे के गिरते आशु भी तुम पीना सिख गए हो ! और एक बात तो में तुमको बताना ही भूल गया अपना एक मित्र और अपने बीच हे उससे भी तो मिलावा दू तुमको .जिसने तुम्हे लिखने में मेरा साथ दिया हे ! अरे ये “कलम” इसी के सहारे तो में तुम तक पहुचता हु इसे तुम सम्भाल कर रखना तुम्हरे पास ही इसे छोड़कर जाता हु में ! इसके बिना अपन सब अकेले रह जायेंगे ! इसे बिना अधुरे रह जायेंगे अपने न में तुमको कुछ बता सकूँगा और न कलम मेरा साथ !तुम समझ रहे होना दोनों में क्या कहना कह रहा हु ! तुमसे मिलना रोजाना तो नहीं होंगा लेकिन मिलता जरुर रहूँगा तुम से बहुत सारी बाते जो करनी हे ! चलो चलता हु में ! आता हु फिर ! by

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 435 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

किराये का मकान
किराये का मकान
Shailendra Aseem
याद हाथ को आ गया,
याद हाथ को आ गया,
sushil sarna
3880.*पूर्णिका*
3880.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ये बाबू कायल हो जइबअ...
ये बाबू कायल हो जइबअ...
आकाश महेशपुरी
17. Eat Right
17. Eat Right
Ahtesham Ahmad
मेरे लहज़े मे जी हजूर ना होता
मेरे लहज़े मे जी हजूर ना होता
Ram Krishan Rastogi
वाणी से हमारे संस्कार, विचार, व्यवहार और हमारे आचरण का पता च
वाणी से हमारे संस्कार, विचार, व्यवहार और हमारे आचरण का पता च
ललकार भारद्वाज
शीर्षक- तुम बनाओ अपनी बस्ती, हमसे दूर
शीर्षक- तुम बनाओ अपनी बस्ती, हमसे दूर
gurudeenverma198
प्रिय वत्स!
प्रिय वत्स!
अनिल मिश्र
हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी
हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी
Mukesh Kumar Sonkar
धवल चाँदनी की रजनी में
धवल चाँदनी की रजनी में
शशि कांत श्रीवास्तव
कविता चोरों को सप्रेम भेंट
कविता चोरों को सप्रेम भेंट
अवध किशोर 'अवधू'
कठिन समय आत्म विश्लेषण के लिए होता है,
कठिन समय आत्म विश्लेषण के लिए होता है,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
"सिक्का"
Dr. Kishan tandon kranti
सोना जेवर बनता है, तप जाने के बाद।
सोना जेवर बनता है, तप जाने के बाद।
आर.एस. 'प्रीतम'
குளு குளு அறை
குளு குளு அறை
Otteri Selvakumar
जिंदगी का सफर है सुहाना, हर पल को जीते रहना। चाहे रिश्ते हो
जिंदगी का सफर है सुहाना, हर पल को जीते रहना। चाहे रिश्ते हो
पूर्वार्थ
नज़रें
नज़रें
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
16)”अनेक रूप माँ स्वरूप”
16)”अनेक रूप माँ स्वरूप”
Sapna Arora
याद भी तेरी साथ लाती है।
याद भी तेरी साथ लाती है।
Dr fauzia Naseem shad
ऑपरेशन सिंदूर: शौर्य की सिंदूरी साधना
ऑपरेशन सिंदूर: शौर्य की सिंदूरी साधना
The World News
चली गई जब बुद्धि ही,जिसकी चरने घास
चली गई जब बुद्धि ही,जिसकी चरने घास
RAMESH SHARMA
शायद मेरी बातों पर तुझे इतनी यक़ीन ना होगी,
शायद मेरी बातों पर तुझे इतनी यक़ीन ना होगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*एक जन्म में जाने कितने, हमने जन्म जिए हैं (हिंदी गजल)*
*एक जन्म में जाने कितने, हमने जन्म जिए हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
चाॅंद
चाॅंद
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
“आँख खुली तो हमने देखा,पाकर भी खो जाना तेरा”
“आँख खुली तो हमने देखा,पाकर भी खो जाना तेरा”
Kumar Akhilesh
सुंदर उपवन - विश्लोक छंद
सुंदर उपवन - विश्लोक छंद
Ram kishor Pathak
बिखरे हैं अश्क़ मेरे, इस सन्नाटे की बाहों में,
बिखरे हैं अश्क़ मेरे, इस सन्नाटे की बाहों में,
Dheerendra Panchal
धनुष वर्ण पिरामिड
धनुष वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
नई रीत विदाई की
नई रीत विदाई की
विजय कुमार अग्रवाल
Loading...