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23 Apr 2017 · 1 min read

मुक्तक

मैं भूला था कभी तेरे लिए जमाने को!
मैं भूला था कभी अपने आशियाने को!
भटक रहा हूँ जबसे गम के सन्नाटों में,
हर शाम ढूँढता हूँ जामे-पैमाने को!

मुक्तककार-#महादेव'(24)

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