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21 Apr 2017 · 1 min read

होठ की लाली

सुबह के सूर्य के जैसे,तेरे होठो की लाली है।

किसी सावन की बदली सी तेरी ये जुल्फ काली है।।

सुखद मकरन्द के जैसे जहाँ से खुसबुये आती।

वही राधा है जो सारे ज़माने से निराली है।।

कृतिकार
सनी गुप्ता मदन
9721059895
अम्बेडकरनगर

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