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18 Apr 2017 · 1 min read

अब क्या होगा

सीपियों में नाग छूपे
मुक्ता को पहचाने कौन
चकाचौंध की दुनिया में
अपनों को सब भूल रहे
अब क्या होगा
नीला थोथा आसमान का
बादलों में घुलमिल जाए
अमृत की कैसी यह बारिश
जहरीली जब धरती हो जाए
अब क्या होगा
ताज़ा खून है टपक रहा
नाखूनों के छोर से
भाई -भाई के बीच में
कैसा प्रेम पनप रहा
अब क्या होगा
कौओं के मीठे बोल है
कोयल अब खामोश है
बेसुरे सुरताल पर थिरके
जीवन यह अनमोल है
अब क्या होगा
कछुओं ने लगाई दौड़
घोड़ों को लगड़ी मार
भाग- दौड़ के रेस में
इन्सानियत रही है पिछड़
अब क्या होगा….

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