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14 Apr 2017 · 1 min read

** नमन नमन उस भीम को **

14.4.17 प्रातः 10.30
नमन नमन उस भीम को

नमन नमन उस भीम को

रच-संविधा-संविधान को

नमन उस भीम-वीर को

झेला अनयअत्याचार को

पेला गूढ़ज्ञान-आगार को

नमन है उस भीम को

नमन नमन उस भीम को

नमन उस ज्ञान-दीप को

नमन उस जगदीश को

माना है जिसके ज्ञान का

नमन उस जगजगदीश को

नमन नमन उस भीम को

मुक्त कर कारा से नर
सब मात-सम-नारी को

भेद जो हुआ उनसे
खेद जो किया मनसे

ठान लिया तन-मन से
इस भेद को अभेद कर

कर दूंगा मतभेद बन्द
सुख ना देखा देखा दुःख

हारा ना हर हाल में
काल को बेहाल कर

जीत लिया ये समर
बांध लो अब कमर

भीम के उस ध्येय को
खोने ना देंगे अब हम

जीत हो या हार हो
हरहाल में कमर कसे

ना कभी समर फंसे
चक्रव्यूह है द्विज का

ना एक से अनेक हो

लौटते हैं सांप जिनके
छाती पे अनेक हो

नेक हो बस नेक को
उद्देश्य चाहे अनेक हो

भीमघोष याद रहे याद रहे याद रहे
संगठित रहो शिक्षित बनो संघर्ष करो

मूल मंत्र जान लो मन में ये ठान लो
झूकेंगे
ना झूकेंगे हम हम नहीं किसी से कम

हम नहीं
किसी से कम हम नही किसी से कम

नमन नमन उस भीम को
नमन नमन उस भीम को

जय भीम बोलो जय भीम
बोलो जय भीम बोलो जय भीम

?मधुप बैरागी

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