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9 Apr 2017 · 1 min read

जल रहे अज्ञान बनकर, कहेें मैं शुभ सीख हूँ

श्रेष्ठ ,ईर्ष्यमाण बन जाए, मैं नीचे ठीक हूँ।
उच्चता सद्भाव सह फनकार की तकनीक हूँ।
हँस रहा सद्ज्ञान उन पर,जो हृदय काला किए।
जल रहे अज्ञान बनकर ,कहें मैं शुभ सीख हूँ।

बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए”एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता

ईर्ष्यमाण=ईर्ष्यालु

09-04-2017

555 Views
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