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30 Mar 2017 · 1 min read

गीत भटक रहा बंजारा मन

गीत
****
कभी इधर तो कभी उधर
कभी जमीं पे कभी गगन
देखो इत उत भागा फिरता
भटक रहा बंजारा मन ।

जाने क्या क्या सोच रहा
अपनापन बेगानापन
अधरों मे ही डोलता रहता
भटक रहा बंजारा मन ।

तेरा हो या मेरा हो
बडा़ कठिन इस पर बंधन
कितन ताने बाने बुनता
भटक रहा बंजारा मन ।

चंचल है ऒर कोमल है
नाजु़क सा बेचारा मन
नये खिलॊने ढूंढ़ता फिरता
भटक रहा बंजारा मन ।

गीतेश दुबे ” गीत “

Language: Hindi
Tag: गीत
622 Views
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