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26 Mar 2017 · 1 min read

चार दोहे

मेरे जीवन में नहीं, कोई भी इक आस।
स्वाति बूँद मिले नहिं फिर, चातक बुझै न प्यास॥
***************************

राह कोई सूझत नहिं, छानू पथ-पथ खाक।
जैसे बिना श्राद्ध दिवस, पूछै कोउ न काक॥
****************************

जीवन गर है जानना, अपने भीतर झाँक।
फटे कपड़े विचार के, मन की सुईं से टाँक॥
***************************

जितना घट माहिं उतरै, भेद सभी खुल जाय।
गहरे पानी पैठ के, मोती मानुष पाय॥
सोनू हंस

Language: Hindi
368 Views
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