Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Mar 2017 · 5 min read

सतरंगी चुनरी

बडे दिनों के बाद आज मालू पागल हुए जा रहा था, समझ ही नहीं आ रहा था उसे कि वो क्या पहने, कब क्या करे, केसे करे, क्या खरीदे ? शाम को बस-स्टैंड भी जाना था, और अभी बाज़ार !
पूरा घर सर पर उठाये अपने आप में उलझा हुआ और चहरे पर हंसी आती और चली जाती कहीं दूर ! घरवालों को लगा बेचारा काम के कारण परेशान है, काम बहुत होगा ! लेकिन मुनिया अपने मालू दादा का हाल समझ रही थी, मालू की जान और मुनिया की दुश्मन वो भूरी बिल्ली जो आ रही थी, शाम की बस से ! घर वाले समझे या ना समझे बहिने अपने भाई को जल्दी ही परख लेती हैं !
मालू के हाल समझने में मुनिया को देर ना लगी और सबके सामने ही बोल पडी, आज भूरी बिल्ली आ रही है तभी ये हाल हो रहे हैं या कोई और घर छोड़ने जा रहा है ! मेहता साहब और उनकी धर्मपत्नी अचानक एक दूसरे की तरफ़ देखे, और मेहता साहब बोले पडे मुझे बिल्ली पसंद नहीं, चाहे भूरी हो या काली ! मना किया था मेने मालू को कि बिल्ली घर पर नहीं आनी चाहिये, उसने मगा ही ली झांसी से, समझा दो उसे बिल्ली भी घर में लाने की चीज है कोई !
मुनिया बहुत जोरो से हंसी, उन्हें तो समझ नही आया क्या बात है लेकिन मालू समझ गया !
मुंह बंद रखो अपना मुन्नी की बच्ची, वेसे भी में परेशान हुं, इतना कहकर मालू अपने कमरे में चला ग्या! पीछे पीछे मुनिया भी आ गयी, तो मालू बोला मां पापा के सामने क्युं बोली, में जानता हुं तुझसे अच्छी है मेरी सोनी! तभी तुझे जलन होती है !
” मैं और उस भूरी बिल्ली से चिढूगी, दिमाग खराब है तुम्हारा ! वो इस लायक भी नहीं है कि में उससे चिढू ” मुनिया गुस्साई !
मालू का पारा भी चढ गया बोला- मुंह मत चलाओ जाओ यहा से ! अपने काम से मतलब रखो जायदा मेरे मामलों में पड़ने की जरुरत नहीं है !
मुनिया भी बड़-बडाती हुई कमरे से बाहर आ गयी ! हर बार की तरह श्रीमान और श्रीमति मेहता फ़िर आपस में बोल उठे क्या होगा इन दोनों का आपस में बनती ही नहीं है ! कोई कम नहीं है, किसी को सबर नहीं है ! बस लड़ते रहेगे दोनों ! थक चुके है हमलोग, इनके रोज़ के झगडो से !
दोपहर के 1 बज रहे थे, गुससे में मालू भी बड़-बडाता रहा और कब सो गया उसे पता ही नहीं चला, कि 4 बज गये हैं ! मुनिया मालू के कमरे में आयी देखने के लिये कि मालू है या गया ! उसे सोता देख जोर से चिल्लाई दादा ! मालू भी डर के मारे उठ गया और घबराकर पूछा क्या हुआ ?
मुनिया- 4 बज गये बस-स्टैंड कब जाओगे, बाज़ार भी तो जाना है ना अब !
ओह सिट ! 4 बज गये पहले उठा देती, अब केसे क्या होगा ! तुम किसी काम की नहीं हो, मालू चिल्लाया !
लेकिन मुनिया खुश थी, और बोली 5 बजे के पहले निकल नहीं पाओगे, मां चाय पोहा बना रही हैं, बिना खाये जा नहीं पाओगे ओर घर पर कुछ बोल नहीं पाओगे ! अब गिफ्ट तो भूल जाओ मेरे भाई और भागो कहा पता तो है ! वेसे गिफ्ट के मामले में मैं मदद कर सकती हुं लेकिन….
मालू बोला क्या लेकिन ? फाडो अपना मुंह कि ऐसा करो वेसा करो, अटकी तो है अभी मेरी ! सौरी में बोलूगा नहीं, सब जानते हुए भी 4 बजे तूने उठाया मुझे !
वहीं तो बुलवाना है 2 बार, बोलकर मुनिया चली गयी ! अब समय नहीं था मालू के पास कि वो जायदा सोचा विचारी करे, उसे जो समझ आया वही कपडे पहनकर तैयार हो गया, कोलेज़ बैग पीठ पर और घर से जल्द से जल्द निकलने की तैयारी ! मां ने देखा तो रोक लिया, चाय पोहा लाख मना करने पर भी खाना पडा ! पापा से गाडी मान्गी साफ़ तौर पर मना कर दिया गया ! मालू ने निराश होकर मदद की उम्मीद में मुनिया की तरफ़ देखा, मुनिया ने घडी की तरफ़…
और मुनिया उठी एक कपडे से भरा पोलीबैग लायी और बोली दादा इसे बडे बाज़ार में नेहा बुटीक पर दे देना ! गुस्से से लाल मालू मुनिया पर चिल्ला उठा – पागल समझ कर रखा है मुझे तुझे पता है मुझे जाना है जल्दी तो और नाटक आ रहे है, नालायक !
मां बाप की अच्छी खासी डान्ट मालू को झेल्नी पडी, मुनिया ने बाइक की चाबी पापा से ली और मालू को दी, ये है चाबी और देकर आना कपडे !
मालू भी क्या करता बेचारा गाडी चाहिये तो ये काम तो करना ही होगा ! गुस्से से लाल मालू घर से निकला, तो ट्रैफिक में 10 मिनिट फस ग्या, उस 10 मिनिट ने मालू का सारा गुस्सा गायब कर दिया ! ट्रैफिक में फसे मालू के हाथ गंदे हो ग्ये थे, गाडी साफ़ करने में तो उसने सोचा इस मुन्नी ने सब जानकर भी मुझे फसाया इसी के कपडे से हाथ पोछूगा अब, हो जाने दो कपडे गंदे !
जेसे ही उसने पोलीबैग खोला, कपडो के साथ एक लेटर मिला! जिसपर लिखा था- सबसे नीचे सतरंगी चुनरी है और फ्रेंड फ़ौरएवर का ग्रीटिन्ग कार्ड ! आज बुधवार है यानी बाज़ार बंद है, ओके ! ये गिफ्ट मुझे चिंकी को देनी थी अब उस भूरी बिल्ली को दे देना और वापिस खरीद देना मेरे लिये गिफ्ट्स ”
मालू ने जब देखा तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा ! वो अब सीधे बस-स्टैंड की ओर बढा !
करीब 6:30 बजे शाम को बस इन्दोर से आयी, और रात 8 बजे की बस से सोनी को अपने घर निकलना था, वो सिर्फ मालू की वज्ह से बस से नीचे उतरी थी वर्ना उसी बस से वो अपने घर चली जाती इन्दोर से सीधे ! मालू इंतज़ार में बिना पल्के झपकाये बस के गेट से उतरते सभी लोगों को देख रहा था कि चहरे पर मुस्कान लिये सोनी बस से उतरी, उसने बस से उतरने के पहले ही मालू को देख लिया था !
दोनों एक दूसरे के सामने चुपचाप पर मुसकुराते हुए ! मालू ने गाडी पर सोनी को बैठाया और शहर से थोडी दूर के एक रेस्टोरेन्ट में ले गया ! गाडी से उतरते ही हाईवे पर उन्होने एक दूसरे को गले लगाया, होने वाले पति- पत्नी एक दूसरे से मिल रहे थे, प्यार अपनापन होना लाजमी है !
एक दूसरे की आंखों में कुछ देर देखते रहे, फ़िर दुबारा गले मिले, मालू ने सतरंगी चुनरी सोनी को उडाई, और कार्ड दिया साथ ही अच्छे दोस्त की तरह एक दूसरे को समझने का वादा किया ! सोनी भी मालू के लिये उसके पसन्दिदा रंग की नीले कलर की शर्ट लायी थी ! अंदर जाने से पहले ही मालू ने वो शर्ट पहनली और अपनी पहनी हुई शर्ट उतारकर पोलीबैग में दाल दी…
सोनी ने खुश होकर मालू के गले से लग गयी ! मालू से उसके फोरहेड पर किस किया फ़िर… दोनों हाथ में हाथ डाले अंदर गये !

Language: Hindi
1027 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

हक़ीक़त
हक़ीक़त
Shyam Sundar Subramanian
नही आवड़ै
नही आवड़ै
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
221 2122 2 21 2122
221 2122 2 21 2122
SZUBAIR KHAN KHAN
4210💐 *पूर्णिका* 💐
4210💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
स्वर्ग से उतरी बरखा रानी
स्वर्ग से उतरी बरखा रानी
Ghanshyam Poddar
संवाद
संवाद
Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal (कौशलेंद्र सिंह)
मरने के बाद भी ठगे जाते हैं साफ दामन वाले
मरने के बाद भी ठगे जाते हैं साफ दामन वाले
Sandeep Kumar
बुझाने को तैयार हैं कई दिल की आग को,
बुझाने को तैयार हैं कई दिल की आग को,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कायदों की बेड़ियों
कायदों की बेड़ियों
Chitra Bisht
प्रेम
प्रेम
Karuna Bhalla
गौरैया
गौरैया
surenderpal vaidya
😢ज्वलंत सवाल😢
😢ज्वलंत सवाल😢
*प्रणय प्रभात*
Zindagi mai mushkilo ka aana part of life hai aur unme sai h
Zindagi mai mushkilo ka aana part of life hai aur unme sai h
Sneha Singh
स्वर्ण पदक
स्वर्ण पदक
Sahil Ahmad
बहारों का मौसम सज़ा दिजिए ।
बहारों का मौसम सज़ा दिजिए ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
दादी और बचपन
दादी और बचपन
Savitri Dhayal
तेरी यादों ने इस ओर आना छोड़ दिया है
तेरी यादों ने इस ओर आना छोड़ दिया है
Bhupendra Rawat
" परिभाषा "
Dr. Kishan tandon kranti
जमाने के रंगों में मैं अब यूॅ॑ ढ़लने लगा हूॅ॑
जमाने के रंगों में मैं अब यूॅ॑ ढ़लने लगा हूॅ॑
VINOD CHAUHAN
मन मेरे बासंती हो जा
मन मेरे बासंती हो जा
संतोष बरमैया जय
लोग अब हमसे ख़फा रहते हैं
लोग अब हमसे ख़फा रहते हैं
Shweta Soni
दुल्हन
दुल्हन
शिवम "सहज"
कविता
कविता
Shiva Awasthi
आँलम्पिक खेल...... भारतीय टीम
आँलम्पिक खेल...... भारतीय टीम
Neeraj Kumar Agarwal
मायका
मायका
Dr. Pradeep Kumar Sharma
उल्फत अय्यार होता है कभी कबार
उल्फत अय्यार होता है कभी कबार
Vansh Agarwal
सादगी मुझमें हैं,,,,
सादगी मुझमें हैं,,,,
पूर्वार्थ
दोहा
दोहा
Suryakant Dwivedi
भूखों का कैसा हो वसंत / राजकुमार कुंभज
भूखों का कैसा हो वसंत / राजकुमार कुंभज
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
स्वयं के लिए
स्वयं के लिए
Dr fauzia Naseem shad
Loading...