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22 Mar 2017 · 1 min read

गम तो बांटो जरा किसी के

नीर भरी हैं उसकी अँखियाँ
बीत रहीं हैं चुप-चुप रतियाँ

साजन गए विदेश न लौटे
कौन सुने अब मन की बतियाँ

सूनी सूनी अमराई है,
सखियों की राह तकें अमियाँ

भँवरों की मनुहार न मानें,
कितने नखरे करती कलियाँ

गम तो बाँटो जरा किसी के,
मिल जायेंगी ढेरों खुशियाँ

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