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13 Mar 2017 · 1 min read

जीता कौन

नाच और गान में,
होली का रंग था।
कबीर की वाणी
हुर्यारों का संग था।
चुनाव सी हलचल
हार जीत का प्रशन था।
कौन जीता कौन हारा,
उलझन का गुरूर था।
राम रावण युद्ध से,
सवाल अनिर्णीत है।
युद्ध जीता राम ने,
पर लक्ष्य पर रावण की जीत है।
इतिहास दौराहा पुनः
यू.पी जैसा चुनाव था।
जीते भले ही भाजापाई,
पर संकल्प पी.एम.न वनने की जीत था।
वरन् नोटवंदी का करते विरोध,
जेलभरों जैसा आंदोलन।
न विरोध है न खेद है,
वक्तव्य को माना विपक्ष करम।
सिर्फ मोदी बोले सदन में,
यह कैसा है विरोध।
राहुल जी के लक्ष्य को,
जनता ने किया सपोट।
गठबंधन का गणित जटिल,
कोई नही समझ पाया।
हारा नहीं कोई यहाँ पर,
जीत सभी ने पाया।

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