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12 Mar 2017 · 1 min read

*** चुरा ले नींद कोई ***

चुरा ले नींद कोई हमारी कोई बात नहीं
चुराये सपनों को हमारे हमें बर्दास्त नहीं
महक सपनो की भी है हमारे सीमापार
चन्दन -खुशबू भी होती सीमापार नहीं ।।
?मधुप बैरागी

दिल को कह दो दर्द ना दे अब मुझको
मैं अब थका-हारा ना दे ग़म मुझको
ना चाहिए मुझको उनके गम का सहारा
अब दिल आसरा -बेआसरा कर दे मुझको ।।
?मधुप बैरागी

तिलिस्म जिंदगी का भी कितना अजीब है
कैच जिंदगी को करने मौत बाउंड्री पर खड़ी है
जिंदगी और मौत के दरमियां इतना फासला है
जैसे कब्बडी में लाईन छूते ही मौत से जिंदगी है ।।
?मधुप बैरागी

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