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3 Sep 2016 · 1 min read

हर दफ़े तु...........

हर दफ़े तु मेरी निगाहों में शामिल होती है !
ये जो चाहते है मेरी तुमसे हासिल होती हैं!!

अक्सर ढूंढता हूं मैं तुम्हे फिजाओ में कही!
तु मगर मेरे कोशिशों की कातिल होती हैं!!
————//**–
शशिकांत शांडिले (एकांत), नागपूर
Mo.9975995450

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