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4 Mar 2017 · 1 min read

गज़ल :-- जिसनें जाना है दाम फूलों का ।।

गज़ल :– करता मदहोश जाम फूलों का ।
बहर :—–
2122—1212—22

जिस नें जाना है दाम फूलों का ।
बन गया वो गुलाम फूलों का ।

हुस्न है , नूर नौजवानी है ।
करता मदहोश जाम फूलों का ।

जिसके दामन में प्यार हो हरदम ।
उसने पाया मुकाम फूलों का ।

फूल ही फूल हो गुलिश्तां में ।
हर जुबां पर हो नाम फूलों का ।

खिल उठेगी यहाँ गज़ल मेरी ।
लिख रहा हूँ कलाम फूलों का ।

गज़लकार :– अनुज तिवारी “इंदवार “

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