Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
3 Mar 2017 · 1 min read

? ब्रज की होरी ?

?? ब्रज की होरी ??
??????????

अरे कान्हा नै कर दई होरी, मैं पकर रंग में बोरी।…2

एक दिना धौरे-दौहपर,मेरे घर में घुस आयौ।
रंग-पिचकारी लिए हाथ में,ग्वाल-बाल संग लायौ।
भाभी कह मेरी बैयाँ पकरी,करन लग्यौ बरजोरी।
कान्हा नै कर दई होरी…..

दूध बिलोमत रंग डार्यौ,गोरस की भाँति बिगारी।
भरी नाद रंगीन करी,रोके नाय रुक्यौ मुरारी।
बांह पकर करै खींचा-तानी, रोमें छोरा-छोरी।
कान्हा नै कर दई होरी…..

ऐसौ है निर्लज्ज श्याम,कुल-कानि दई बिसराई।
होरी कौ हुरियार भयौ,अति कौ ये ढीठ कन्हाई।
धक्का मार नाद में गेरी,नादहु संग में फोरी।
कान्हा नै कर दई होरी…..

तेरौ “तेज” झिलै नाय रसिया,मैं हूँ नार-नवेली।
सास-नन्द मोहे ताने मारें, घेरी जान अकेली।
जा होरी कौ बदलौ तोसों,लें वृषभान किशोरी।
कान्हा नै कर दई होरी…..
??????????
?©तेजवीर सिंह “तेज”✍?

Loading...