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22 Feb 2017 · 1 min read

जीवन

जीवन

सरस सलिल सा बहता जीवन
अवरोधों संग बढ़ता जीवन
निशा दिवस है गतिमय जीवन
हँसते गाते चलता जीवन ।

दुख के पल भी सहता जीवन
सुख के क्षण भी जीता जीवन
जिन्दगी की नियत डगर में
अगणित सपनें गढ़ता जीवन ।

कभी सदी सा बनता जीवन
कभी घड़ी में घटता जीवन
समय के संग संग ही अपने
मानक निश्चित करता जीवन ।

आशा में है रहता जीवन
अहसासों में पलता जीवन
मोह – निर्मोह का भेद खोजता
बना धरा पर रहता जीवन ।

डॉ रीता
आया नगर , नई दिल्ली

Language: Hindi
605 Views
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