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1 Sep 2016 · 1 min read

जीने की कला

जीने की भी कला है
जी रहे है सब
कुछ होश में
कुछ बेहोशी में,
पर सब जी ही रहे है
रंग में भी
बेरंग में भी,
बदरंग के बचने की कोशिश में
बस जी लेते है
खुश रहने की आदत के वायदों के साथ,
सुख में भी
दुःख में भी
हँस लेते है,बोल लेते है
सह लेते है
सहनशीलता के साथ,
जीने की भी कला है ये एक
बस जी लेते है,मुस्कुरा लेते है
अपनों के साथ****

^^^^^दिनेश शर्मा^^^^^

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