Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
21 Feb 2017 · 1 min read

बढ़ चढ़ कर मतदान

लोकतंत्र की राह जब,….. लगे नहीं आसान !
फर्ज समझकर तब करो, बढ़ चढ़ कर मतदान !!

पछतावा हो बाद में, ..रखा नहीं यदि ध्यान !
सोच समझकर कीजिए , अपने मत का दान !!

आते हैं इस देश मे,जब भी कभी चुनाव!
वादों के पकने लगे,रुचिकर रोज पुलाव!!
रमेश शर्मा.

Loading...