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18 Feb 2017 · 1 min read

मम्मी का जन्मदिन

मम्मी का जन्मदिन
कोई त्योहार हो या किसी का जन्मदिन
अक्सर हम सबके पास एक सवाल होता था
और जवाब भी हम ही देते थे।
मम्मी खाने में क्या बनेगा ,
और फिर शुरू हो जाता फरमाइशों का दौर ,
कोई कहता ये बनेगा ,
कोई कहता वो बनेगा ।
जिसका जन्मदिन होता
वो कहता मेरा जन्मदिन है
मेरी इच्छा का बनेगा,
और मम्मी सबकी फरमाइशों में
सामंजस्य बिठाते हुए
आखिर में खुश कर देतीं सभी को।
सबके लिए बैंगन तो
मेरे लिए आलू ।
सबके लिए छोले
तो चाची के लिए
बिना प्याज के छोले।
हमारे लिए पूड़ी तो
पापा के लिए कचौड़ी ।
कोई नाखुश न होता है कभी ।
अपने छोटे से
चौके में समाए
सबके त्यौहार ,
सबकी मनुहार ।
पर हम सबके
जन्मदिन,त्यौहारों
को रोशन करती हुई
क्यों कभी नही करती मम्मी
अपने लिए कोई फरमाइश ।
क्यों हम सबके जन्मदिन पर
फरमाइशों की लिस्ट
पूरी करती मम्मी
अक्सर अपने जन्मदिन पर
जन्मदिन की बात
छेडती तक नहीं।
शायद हमने कभी
पूछा ही नहीं
कि मम्मी
तुम्हें क्या चाहिए ।
और मम्मी ने कभी
कहा भी नहीं।
ऐसा नही कि
पूछना चाहा नही कभी।
बस दिल का जुबान पर
आया नहीं कभी।
हम उस दशक के नही
जो मम्मी आई लव यू
कहकर प्यार जता सकें।
शायद इसीलिए
क्या है दिल में
ये कभी नही बता सके।
अब लगता है
मम्मी का जन्मदिन
मनाना चाहिए ।
जो हमेशा सबको
खिलाए खुशी से
उनको भी तो
अपने हाथों से बनाकर
खिलाना चाहिए ।

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