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15 Feb 2017 · 1 min read

II अब तो आजा II

नवगीत

डूबा डूबा ए मन ,
प्यासे प्यासे नयन,
थक गए हैं कदम,
अब तो आजा lI

ना कर इतने सितम
जी सकेंगे न हम ,
टूटे टूटे सपना,
अब तो आजा lI

सपनों के गांव में,
प्यार की छांव में ,
इस दुनिया से दूर ,
अब तो आजा lI

ओढ़े धानी चुनर,
प्यार की ले गागर,
दिल की सूनी डगर ,
अब तो आजा ll

यह हंसी वादियां ,
तेज हैं आंधियां,
बुझ ना जाए दिए ,
अब तो आजा ll

सावन की छटा ,
घिरी काली घटा,
आधा जीवन चला,
अब तो आजा ll

संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश l

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