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14 Feb 2017 · 1 min read

पहचान

अपने से पहचान कर लो ।

अपने से पहचान कर लो

क्या किया जीवन में अब तक
दो गे धोखा खुद को कब तक
चल रही हैं सांसे जब तक
कुछ तो अच्छा काम कर लो
अपने से पहचान कर लो।

ढल गया सूरज तो अब तक
प्रारब्ध को रोओ गे कब तक
जाग उठो सोओ गे कब तक
आओ गगन के गान कर लो
अपने से पहचान कर लो

क्या हुआ जाना जो सब को
क्या हुआ जाना न रब को
जाना नहीं सांसों के ढब को
अब तो शर सन्धान कर लो
अपने से पहचान कर लो।

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