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12 Feb 2017 · 1 min read

नेह की पीड़ा

जब गमन तुम्हारा होना तय था
क्यों गोपी में नेह जगाया था ,
कान्हा तुमने नेह की पीड़ा का ,
क्या मर्म कभी न पाया था ।

इस पीड़ा का निर्मोही कान्हा
अहसास यदि तुम कर जाते ,
नहीं विरह – अग्नि में हमको
गोकुल छोड़ गमन कर पाते ।

तुम क्या जानो नेह की पीड़ा
दुख कितना हमको देती है ,
निशदिन नितक्षण छवि तुम्हारी
ह्रदय में समायी रहती है ।

डॉ रीता
आयानगर,नई दिल्ली ।

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