Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Feb 2017 · 1 min read

II…अंदाज निराले है II

वो डूबती कश्ती है कुछ दूर किनारे हैं l
हालात बदलने के अंदाज निराले है ll

मैं खुद हि लिपट रोया अपनी नफासत से l
है कौन जो ए समझे क्या जख्म पुराने हैं ll

शब्दों से हुआ सजदा लहराते तिरंगे को l
शासक जो यहां बदले उससे भि सयाने है ll

संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश l

Language: Hindi
392 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

----- स्वप्न सलौने -----
----- स्वप्न सलौने -----
पंकज परिंदा
धैर्य बनाये रखे शुरुआत में हर कार्य कठिन होता हैं पीरी धीरे-
धैर्य बनाये रखे शुरुआत में हर कार्य कठिन होता हैं पीरी धीरे-
Raju Gajbhiye
हिन्दी
हिन्दी
Dr.Pratibha Prakash
एक रफी साहब एक प्यारे कलाम हैं
एक रफी साहब एक प्यारे कलाम हैं
Mahesh Tiwari 'Ayan'
अजनबी से अपने हैं, अधमरे से सपने हैं
अजनबी से अपने हैं, अधमरे से सपने हैं
Johnny Ahmed 'क़ैस'
हरजाई ....
हरजाई ....
sushil sarna
👉अगर तुम घन्टो तक उसकी ब्रेकअप स्टोरी बिना बोर हुए सुन लेते
👉अगर तुम घन्टो तक उसकी ब्रेकअप स्टोरी बिना बोर हुए सुन लेते
पूर्वार्थ
6) जाने क्यों
6) जाने क्यों
पूनम झा 'प्रथमा'
स्कूल का पहला दिन
स्कूल का पहला दिन
विक्रम सिंह
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
4479.*पूर्णिका*
4479.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*प्रणय प्रभात*
महिलाओं का नेतृत्व और शासन सत्ता की बागडोर
महिलाओं का नेतृत्व और शासन सत्ता की बागडोर
Sudhir srivastava
मैंने जिसे लिखा था बड़ा देखभाल के
मैंने जिसे लिखा था बड़ा देखभाल के
Shweta Soni
माता पिता के श्री चरणों में बारंबार प्रणाम है
माता पिता के श्री चरणों में बारंबार प्रणाम है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
नई प्रजाति के गिरगिट
नई प्रजाति के गिरगिट
Shailendra Aseem
*मधुमालती*
*मधुमालती*
डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद"
दोहे
दोहे
अशोक कुमार ढोरिया
लपेट कर नक़ाब  हर शक्स रोज आता है ।
लपेट कर नक़ाब हर शक्स रोज आता है ।
अश्विनी (विप्र)
सुखराम दास जी के कुंडलिये
सुखराम दास जी के कुंडलिये
रेवन्त राम सुथार
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
ये रहस्य, रहस्य ही रहेगा, खुलेगा भी नहीं, जिस दिन (यदि) खुल
ये रहस्य, रहस्य ही रहेगा, खुलेगा भी नहीं, जिस दिन (यदि) खुल
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कभी जो अभ्र जम जाए
कभी जो अभ्र जम जाए
Shubham Anand Manmeet
अब तो ऐसा कोई दिया जलाया जाये....
अब तो ऐसा कोई दिया जलाया जाये....
shabina. Naaz
क्या हैं हम...
क्या हैं हम...
हिमांशु Kulshrestha
"तन्हाई"
Dr. Kishan tandon kranti
विवश मन
विवश मन
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
बिन बोले सब बयान हो जाता है
बिन बोले सब बयान हो जाता है
रुचि शर्मा
कभी-कभी मुझे यूं ख़ुद से जलन होने लगती है,
कभी-कभी मुझे यूं ख़ुद से जलन होने लगती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जय हिन्द
जय हिन्द
Dr Archana Gupta
Loading...