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10 Feb 2017 · 1 min read

बेटियाँ

सुताएं,आवाज कोयल की, दिलों का राग हैं |
आज पितु की सुबह, कल ससुराल प्रिय अनुराग हैं|
लड़कियाँ जागीं जहाँ पर, हँसे, वह आँगन सदा |
लगे ऐसा, बेटियाँ , हँसता हुआ शुभ बाग हैं|

बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता

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