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7 Feb 2017 · 1 min read

* इस आदत को सुधारा ना जाये *

इतना भी विश्वास मुझपे ना कर कि तूं धोखा खा जाये
इतना भी उधार मुझपे ना कर कि क़र्ज उतरा ना जाये
बहुत खूबियां है तुझमे और बहुत कमजोरियां है मुझमे
कौशिश करता हूं बहुत इस आदत को सुधारा ना जाये ।
?मधुप बैरागी

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