Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Dashboard
Account
6 Feb 2017 · 1 min read

**** कुछ मुक्तक ****

हम हठ करते हैं अपने साथ
ख़ुदा को करते अपने साथ
समझ अपना जिसे करते खुश
भान नहीँ रखे उसे अपने साथ।।

आपको जन्म दिवस की हो बधाई
जीवन हो खुशहाल पुनः हो बधाई
वर्ष हो आगत विगत से खुशहाल
युवादिल फिर आज मित्र हो बधाई ।।

धन की वर्षा करे धन्वन्तरी
स्वस्थ काया करे धन्वन्तरी
माया-मन-मोह नहीं जात
काया तजे चाहे धन्वन्तरी।।

आज मेरा चाँद उस चाँद को देखेगा
सजेगा संवरेगा चाँद उसको देखेगा
दरमियां चिलमन होगा चाँद-चाँद में
चंद्र-चांदनी को मेरा महबूब देखेगा ।।

खामोशियाँ कब कहती है मुझे आवाज़ दो
परिंदे कहते कब हवा से मुझे परवाज दो
जिस्म में बैठे नादां इंसां के रूह को न जाने
तुम कब ईश्वर को शैतान कब नवाज कह दो ।।

बस्तियां दिल की वीरां हो गयी है
प्यार की दुनियां कहीँ खो गयी है
आ जाओ बसेरा कर लो इसमें अपना
शायद इंसानियत फिर से कहीं सो गई है ।।

आँख नम है तेरे नाम से ये क्या कम है
मुहब्बत तुमसे तेरे नाम से ये क्या ग़म है
मत रूठ वेवजह मुझसे मैं तेरा सदा से
नाम में रखा क्या प्यार किसी से कम है ।।

मै मंजिलों की तलाश में भटका नहीं बोलो कहां
आज मंजिले मेरे क़दमो तले ढूंढू तो बोलो कहां
मन-मधुप विचलित सा आज तेरे साये को है
काश तेरी-मेरी मंजिलें मिलती तो बोलो कहां।।

यादें उनकी फिर ताज़ा हो गई
सुबह तो फिर ग़मे-शाम हो गई
कहकहा लगाते मिलकर सब
आज फिर उनकी बात हो गई ।।

?मधुप बैरागी

Loading...