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5 Feb 2017 · 1 min read

मुक्तक

आज जो भी है वो कल न होगा!
बेबसी का पल हरपल न होगा!
रोशनी मिल जाएगी ख्यालों को,
दर्द का कभी हलाहल न होगा!

#महादेव_की_कविताऐं'(18)
(हलाहल=जहर)

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