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5 Feb 2017 · 1 min read

ग़ज़ल

ग़ज़ल..हल्की-फुल्की सी

एक दरिया की रवानी की तरह,
है तेरा किरदार पानी की तरह.

दिल है मेरा एक छोटे गाँवों सा,
और तेरा राजधानी की तरह.

तू तरो ताज़ा ग़ज़ल है और मैं,
भूली-बिसरी सी कहानी की तरह.

मेरा लहजा केक्टस सा खुरदरा,
तेरी बातें रातरानी की तरह.

ग़म कोई देना है तो दे दीजिए.
दिल में रख लूँगा निशानी की तरह.

दिलजले शुअरा में है शुहरत मेरी,
एक बेवा की जवानी की तरह.

अशोक मिज़ाज

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