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5 Feb 2017 · 1 min read

ग़ज़ल:- मैं बहुत साद हूं

. ** ग़ज़ल **
5.2.17 *** 11.45
**************
मैं बहुत साद हूं तेरी बेखुदी से
तूं है मेरी उम्मीदो का राज़
****
मैं बहुत साद हूं तेरी बेखुदी से
मैं बहुत साद हूं मैं बहुत साद हूं
********
जुल्मी तेरे जुल्मों – सितम से
मैं बहुत साद हूं मैं बहुत साद हूं
****
चाहा बहुत है तुझको बहुत
तूं रहा अनजान मेरे रहगुजर से
********
मैं बहुत साद हूं मैं बहुत साद हूं
अपनी गमी ना गमगीन हूं मैं
*****
तेरी ख़ुशी अब मेरी ख़ुशी है
ग़म मेरा ना कम कोई बात नहीं
*********
तेरे दिल का जो अरमान हूं मैं
तेरी ख़ुशी में अब मेरी ख़ुशी है
****
मुझे ख़ुशी है जो कम कर सकूं
ग़म जो तेरा मैं बहुत साद हूं
******
हां मैं बहुत साद हूं मैं बहुत साद हूं
मेरे ग़म तूं अंजान है मुझको ख़ुशी
*********
इस बात की है मैं बहुत साद हूं हां
मैं बहुत साद हूं मैं बहुत साद हूं
********
तेरी बेख़ुदी से मैं बहुत साद हूं हां
मैं बहुत साद हूं मैं बहुत साद हूं ।।
***********
?मधुप बैरागी

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